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माँ को मैं देखती हूँ उस कुतिया में माँ को मैं देखती हूँ उस खूँखार सी बिल्ली में जो हल्के से मुँह में दबाकर ले जाती है सात घर घुमाने की रस्म पूरी करने के लिए मैं प्रेम में हूँ . फिर को उस दौर गलत नहीं हूँ मैं बस थोड़ी सी अलग हूँ लोगों से। ताश के बावन पत्तों के बीच स्त्री हूँ मैं जब तक प्रेम में हूँ मैं हूँ खौफ़ज़दा

Hindi माँ को मैं देखती हूँ उस कुतिया मेंमाँ को मैं देखती हूँ उस खूँखार सी बिल्ली में जो हल्के से मुँह में दबाकर ले जाती है सात घर घुमाने की रस्म पूरी करने के लिए Poems